बोहोत सोचा , सच कहता हूँ गलत किया मैंने
उन्हें नहीं कहना था ऐसा , पगला हूँ क्या करूं
कुछ भी कर जाता हूँ , बिना कुछ सोचे समझे
पता नहीं में बदला हूँ या मेरे सोच
खुद से ही परेसान रहता हूँ
सोचता रहता हूँ और बस सोचता ही रहता हूँ
कैसे कहूं उनसे , गलती हो गयी
माफ़ी नहीं मंगनी आती ,पता नहीं कैसे कहूं
पता है उन्हें बुरा लगा होगा , कुछ भी पता नहीं
सायद इसलिए गलत कर बैठा , नादाँ हूँ क्या करूं
दिल से कहता हूँ माफ़ कर दो ,
please forgive me.
Tuesday, January 26, 2010
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