Tuesday, January 26, 2010

माफ़ कर दो

बोहोत सोचा , सच कहता हूँ गलत किया मैंने

उन्हें नहीं कहना था ऐसा , पगला हूँ क्या करूं

कुछ भी कर जाता हूँ , बिना कुछ सोचे समझे

पता नहीं में बदला हूँ या मेरे सोच

खुद से ही परेसान रहता हूँ

सोचता रहता हूँ और बस सोचता ही रहता हूँ

कैसे कहूं उनसे , गलती हो गयी

माफ़ी नहीं मंगनी आती ,पता नहीं कैसे कहूं

पता है उन्हें बुरा लगा होगा , कुछ भी पता नहीं

सायद इसलिए गलत कर बैठा , नादाँ हूँ क्या करूं

दिल से कहता हूँ माफ़ कर दो ,

please forgive me.